पुस्तक प्रकाशन के पाँच चरण
स्वतंत्र प्रकाशन वो जादूई दुनिया है, जहाँ सिर्फ पाँच चरणों में ही एक पाण्डुलिपि, प्रकाशित पुस्तक में तब्दील हो जाती है।
यकीन नहीं हुआ न! आइए देखते हैं क्या हैं पुस्तक प्रकाशन यात्रा के पाँच पड़ाव।
पहला चरण:
इस चरण में आपके मन में पुस्तक की अवधारणा का जन्म होता है और आपकी लेखनी से पन्नों पर उतरने लगता है कल्पना का जादू।
दूसरा चरण:
इस चरण में आप पाण्डुलिपि को स्वतंत्र प्रकाशन समूह को प्रकाशित करने के लिए सौंपते हैं और यही होता है आपकी प्रकाशन यात्रा का सबसे अहम पड़ाव।
तीसरा चरण:
इस चरण में पाण्डुलिपि से किताब बनाने की प्रक्रिया आरंभ होती है, जिसमें लेखक-प्रकाशक अनुबंध बनाना, आवश्यक सम्पादन, वर्तनी संबंधी अशुद्धियाँ, त्रुटियाँ एवं व्याकरण संबंधी सुधार, शब्द संयोजन, पुस्तक की आंतरिक साज-सज्जा, पुस्तक का शीर्षक तय करना, आईएसबीएन प्राप्त करना, आकर्षक आवरण बनाना और पुस्तक को छपाई से पूर्व अंतिम रूप देना शामिल होता है।
चौथा चरण:
इस चरण में लेखक द्वारा स्वीकृत पाण्डुलिपि और आवरण का स्वतंत्र प्रकाशन द्वारा विश्वस्तरीय एवं गुणवत्तापूर्ण प्रकाशन किया जाता है।
पाँचवाँ चरण:
इस चरण में प्रकाशनोपरांत गतिविधियाँ जैसे वितरण, मार्केटिंग, ऑनलाइन लिस्टिंग, लेखकीय प्रतियों की डिलिवरी, पुस्तक के प्रचार-प्रसार की रणनीति का निर्माण आदि कार्य किए जाते हैं।
स्वतंत्र प्रकाशन में सिर्फ इन्हीं पाँच चरणों में एक पाण्डुलिपि, प्रकाशित पुस्तक में तब्दील हो जाती है और सम्मानित लेखक स्वतंत्र प्रकाशन परिवार का अभिन्न अंग बन जाते हैं।