Swatantra Prakashan Pvt. Ltd.
Meet Sab Jhuthe Pad Gaye by Dr. Puran Singh
Meet Sab Jhuthe Pad Gaye by Dr. Puran Singh
SKU:ISBN - 978-93-5986-731-1

मीत सब झूठे पड़ गए, 84 लघुकथाओं की एक ऐसी पुस्तक है, जो भारतीय समाज के चेहरे से नकाब को उतार फेंक देती है। वरिष्ठ रचनाकार डॉ. पूरन सिंह द्वारा रचित ये लघुकथाएँ बेबाक और सशक्त हैं। इस पुस्तक को समाज का आईना होने की संज्ञा दी जाए, तो अतिशयोक्ति नहीं होगी।
भारत सरकार में संयुक्त निदेशक के पद से सेवानिवृत डॉ. पूरन सिंह को उनके साहित्यिक योगदान के लिए विभिन्न प्रतिष्ठित साहित्यिक संस्थाओं द्वारा अनेक सम्मानों और पुरस्कारों से नवाजा जा चुका है। उनका रचना संसार बहुत समृद्ध और व्यापक है। उनकी प्रकाशित कृतियों में 9 कहानी संग्रह-पथराई आंखों के सपने, साजिश, मजबूर, पिंजड़ा, हवा का रुख, हरे कांच की चूड़ियाँ, स्त्री, रिश्ते और द से दलित तथा 10 लघुकथा संग्रह - महावर, वचन, सुराही, दिदिया, इंतजार,100 लघुकथाओं का संग्रह, मन, 64 दलित लघुकथाएं, दाग तथा लघुकथा शतक एवं 3 कविता संग्रह – विद्रोह, अस्तित्व और भूख प्रकाशित शामिल हैं। उन्होने कविता संग्रह-वृंदा तथा कहानी संग्रह-18 कहानियां 18 कहानीकार एवं नैतिक वर्जनाओं की कहानियाँ तथा व्यथा का संपादन किया है। उनकी अनेक रचनाएँ पुरस्कृत हुई हैं एवं अनेक रचनाओं का आकाशवाणी से प्रसारण भी हो चुका है। लगभग सभी छोटी, बड़ी और स्तरीय पत्र-पत्रिकाओं में उनकी रचनाएँ जैसे कहानियाँ, लघुकथाएँ, कविताएँ, लेख आदि प्रकाशित हो चुकी हैं। उनकी एक कहानी 'नरेशा की अम्मा उर्फ भजोरिया' का नाट्य मंचन हिन्दी अकादमी, दिल्ली, द्वारा श्रीराम सेंटर, नई दिल्ली में आयोजित किया गया है। डॉ. पूरन सिंह सेवानिवृति के बाद सक्रियतापूर्वक साहित्य साधना कर रहे हैं।
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